रविवार, 11 अगस्त 2019

ग़ज़ल

कहते हैं कि तू ज़र्रे-ज़र्रे में रहता है।
सदियों से जमाना यही कहता है।।

लगता है कि मेरे रगो-रेशे में तू है,
तू जो कहलवाता है वही कहता है।

मेरा  वजूद  ही   तू   है  तुझसे मैं,
मेरी रूह का इत्मीनान यही कहता है।

ताजिंदगी   तेरा - मेरा     साथ रहे,
जो  भी कहता है  यही कहता है।

दुनिया  के फलसफ़ों  ने टुकड़े किए तेरे,
मगर तू एक है 'शुभम' यही कहता है।।

💐 शुभमस्तु!
✍रचयिता ©
🌺 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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