कहते हैं कि तू ज़र्रे-ज़र्रे में रहता है।
सदियों से जमाना यही कहता है।।
लगता है कि मेरे रगो-रेशे में तू है,
तू जो कहलवाता है वही कहता है।
मेरा वजूद ही तू है तुझसे मैं,
मेरी रूह का इत्मीनान यही कहता है।
ताजिंदगी तेरा - मेरा साथ रहे,
जो भी कहता है यही कहता है।
दुनिया के फलसफ़ों ने टुकड़े किए तेरे,
मगर तू एक है 'शुभम' यही कहता है।।
💐 शुभमस्तु!
✍रचयिता ©
🌺 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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