दुनिया देख रही भौंचक्की,
भारतमाता तेरी ओर।
आज गर्व से मस्तक ऊँचा,
तना हुआ है ऊपर और।।
कितना रक्त बहा वीरों का,
माता तेरे आँगन में।
उसी शहादत का हर जज़्बा,
भरा हुआ है जन -जन में।।
तीन सौ सत्तर नहीं रही अब,
दुनिया में भारत सिरमौर।
आज गर्व से ....
पाक जिसे अपना कहता है,
भारत माँ का हिस्सा है।
धोखे से जो किया अधिकृत,
बहुत पुराना किस्सा है।।
बकरे की अम्मा कितने दिन,
खैर मनाएगी अब और!
आज गर्व से ....
सही अर्थ में तेरी बेड़ी,
तोड़ सके अब कारा से।
पैंतीस - ए से मुक्त हो गए,
तीन सौ सत्तर धारा से।।
जिन आमों पर आम नहीं थे,
महकेंगे वसंत में बौर।
आज गर्व से ....
उग्रवाद की काली छाया,
घुट - घुट कर विष पीना था।
सैनिक शीश झुकाकर चलता,
ये भी कोई जीना था ??
पत्थरबाज दौड़ते पीछे ,
सैनिक-दल से खाये खौर।
आज गर्व से....
सत्तर साल गर्भ में पाला,
क्या ऐसा भी होता है?
कितना सहा एक माता ने,
आँसू - आँसू रोता है।।
तेरा क्या था पाक बता दे,
गले न उतरे तेरा कौर?
आज गर्व से ....
सदा दुराज दुःसह होता है,
पूछो हर कश्मीरी से।
संगीनों के साये में जो,
रहते थे उस धीरी से।।
मंदिर में अब शंख बजेंगे,
निडर 'शुभम' फेरेंगे चौंर।
आज गर्व से ....
💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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