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✍ शब्दकार ©
🌾 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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प्रकृति का नियम
परिवर्तन,
सृजन संहार,
पुनः नव सृजन,
रुदन हास्य,
नृत्य का लास्य,
आवागमन,
संचरण स्थैर्य,
अधीरता धैर्य,
स्फुरण स्पंदन,
सुशांति क्रंदन,
सबका वंदन।
खग कलरव,
अपगा कलकल,
सुमधुर निनाद ,
मंदिर में घण्टा ध्वनन,
चर्च में घण्टिका
खन खन,
मस्जिद में अज़ान,
कौन इनसे अजान,
जन्म का रुदन,
हर्ष का सृजन,
प्रमुदित परिजन,
मरण का विलाप,
दारुण संताप,
संगीत का आलाप,
इधर अभिशाप,
उधर आनन्द का ताप,
परिवर्तन पर
परिवर्तन।
निरन्तर प्रतिक्षण
अहर्निश शनै: शनैः
विनाश और विकास,
सब साथ -साथ,
पवन संचरण,
आँधी प्रभंजन,
शीत लहर,
ग्रीष्मज तप्त लहर,
नभगत विद्युत तड़पन,
जलद गर्जन,
जल वर्षण,
अनगिन परिवर्तन।
चराचर जगत ,
संचरित स्वगत,
न कहीं भान,
न कृत्रिम शान,
नवांकुर अंकुरण,
विनाश विकास
प्रतिक्षण,
रोग - नीरोग,
स्वीकरण विरोध,
विघटन अवरोध,
पुनः विचरण,
प्रेम का पल्लवन,
घृणा -घूर्णन,
ग्रहण -उत्सर्जन,
दैहिक विघटन ,
संघटन विकसन,
अबाध परिवर्तन।
कलिका किसलयगत,
परिवर्धन,
पुष्प पल्लवगत
नव विकास ,
नर -मादा का
शाश्वत मिलाप,
गर्भाधान,
नव सृजन का
नवाख्यान ,
अगोचर
जड़ -चेतन परिवर्तन।
शशि सूरज
उदयन ,
चलन
अस्ताचल गमन,
दिवस रजनी आगमन,
क्रमशः संध्या प्रात,
मानव सीमा से अज्ञात,
आमंत्रण नमन,
सहज स्वीकरण,
अखिल ब्रह्मांड
जड़ -चेतन विचरण,
विलय - अविलयगत
आचरण।
हिमगिरि से
अनवरत सरित प्रवाह,
भरता उछाह ,
वाह ही वाह!
सागर से जा
शनैः शनैः सुमिलन,
विलयन ,
मेघ दल सृजन,
मेघ वर्षण ,
अन्नोत्पादन,
जगत्व-पालन,
जीवन मरण ,
चक्रगत अनवरत
संचरण,
'शुभम' शाश्वत परिवर्तन,
तव शतशः अभिनंदन,
नमन।
पुनः पुनः नमन,
वंदन।
💐 शुभमस्तु !
29.04.2020◆4.15अप.
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