रविवार, 5 अप्रैल 2020

सबसे सुंदर अपना देश [ गीत ]


★★★★★★★★★★★★★
✍ शब्दकार ©
🇮🇳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
★★★★★★★★★★★★★
सबसे    सुंदर    अपना   देश।
इतर   सभी  हैं   सपना  देश।।

आस्तीन   के  साँपों  के  फन।
कुचले  जाते हैं सब चुन-चुन।।
बदलें    चाहे    कितना   वेश।
सबसे     सुंदर   अपना   देश।।

दीप  जलाते  सब घर - घर में।
भरते  उजियाला जग भर में।।
हर  विषाणु का मिटता क्लेश।
सबसे    सुंदर    अपना   देश।।

पश्चिम  भौतिकता  में खोया।
देखो   फूट - फूटकर   रोया।।
मत  कहना अब स्वर्ग विदेश।
सबसे   सुंदर   अपना   देश।।

संस्कृति   सदा   निराली आली।
 शंख    घण्टियाँ   बजती ताली।। 
मिटे     रुग्णता  का   लवलेश।
सबसे      सुंदर     अपना  देश।।

पढ़े -  लिखे     विदेश को भागे।
बड़भागी     बन    गए  अभागे।।
धर्म     नसा     धन   ही  संदेश।
सबसे       सुंदर   अपना  देश।।

प्रतिभाओं    का  हुआ पलायन।
करता     अमरीका  पालागन।।
अब  क्यों   नोंच रहे निज केश।
सबसे     सुंदर     अपना   देश।।

महाशक्ति    होगा   अब भारत।
नहीं     रहेगा     कोई    आरत।।
'शुभम'    न ये   कोरा  उपदेश।
सबसे       सुंदर    अपना   देश।।

💐 शुभमस्तु !

05.04.2020 ◆10.15 पूर्वाह्न।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...