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✍ शब्दकार ©
🌿 डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'
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इस पार सबने देखा।
उस पार किसने देखा??
जिंदा रहेगा जो भी ,
उस पार उसने देखा।
बदलाव कुछ बड़े हैं,
वह द्वार हमने देखा।
ऐसा हुआ न पहले,
संसार जिसने देखा।
पाकीज़गी का परचम ,
फहराता जग ने देखा।
औरों की जान बख्शे,
भारत को तुमने देखा !
दुश्मन को भी 'शुभम' जो,
उपहार उनने देखा।
💐 शुभमस्तु !
19.04.2020 ◆10.45
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