मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

सच्चे भारत - मीत [ दोहा ]


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✍ शब्दकार ©
🌷 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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रात  दिवस सेवा करें,डाक्टर पुलिस जवान।
मानव तन में पशु वही, भूलें जो अहसान।।

पत्थर     जिसके  वक्ष  में, होगा पत्थरबाज।
क्षमा योग्य होगा नहीं, भारत माँ की खाज।।

रासभ    के हित में दिया, खाने को जब नौन।
उसे   लगा   फोड़े  नयन,  बोला हेंचू   कौन??

कौन   हितैषी  कौन रिपु,जानें पिल्ला श्वान।
वे    कृतघ्न हैवान हैं,जिन्हें  नहीं है   भान।।

उचित समय पर कर्म के,बीज उगें बन शूल।
जैसा      जिसका    कर्म  है, वैसे उसके फूल।।

परहित       को  जो जी रहे, मनुज देह में देव।
वे    नारी   हैं देवियाँ,   निरत मनुज की सेव।।

धन्य  देवियाँ नर्स जो,तज  घर में निज  बाल।
निज  तन मन जो होमतीं,जूझ रहीं जो काल।

अभिनंदन    उनका करें, डाक्टर ,नर्स, जवान।
कोरोना      से   जूझते  , मेरा    देश   महान।।

हमसे     जो    सेवा  बने,  करें  देश की आज।
कहती     है   माँ   भारती, बंधु बचा लो लाज।।

कवि      आओ  रचना  करें,गाएँ उनके गीत।
देश   धर्म  में जो  निरत,सच्चे भारत मीत।।

करें   आरती आज  मिल,  पह नाएँ गलहार।
पुलिस ,डाक्टर, नर्स को,   करते जो उपकार।।

💐 शुभमस्तु !

26.04.2020 ◆1.50 अप.

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