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✍ शब्दकार ©
🐘 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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जंगल की तुम सुनो कहानी।
सुना रही थी मेरी नानी।।
हथिनी हाथी पर चिंघाड़ी।
फ़टी हुई है मेरी साड़ी।।
नई पड़ेगी तुमको लानी।
जंगल की तुम सुनो कहानी।।
हाथी बोला बंद दुकानें।
कैसे जाऊँ साड़ी लाने।।
तुमने ऐसी जिद है ठानी।
जंगल की तुम सुनो कहानी।।
अपने घर में बंद सभी हैं।
बाहर आते कभी - कभी हैं।।
बात नहीं है ये बचकानी।
जंगल की तुम सुनो कहानी।।
आया है विषाणु कोरोना।
रोगी जग का कोना -कोना।।
घरबंदी कर जान बचानी।
जंगल की तुम सुनो कहानी।।
सड़कों पर पसरा सन्नाटा।
नहीं कहीं वाहन अर्राटा ।।
इंसां माँग गया है पानी।
जंगल की तुम सुनो कहानी।।
बार - बार हाथों को धोते।
नहीं घरों से बाहर होते।।
छुआछूत से डरते प्रानी।
जंगल की तुम सुनो कहानी।।
इंतज़ार तुम कर लो थोड़ा।
कोरोना निर्जीव निगोड़ा।।
'शुभम' नहीं क्या अभी डरानी
जंगल की तुम सुनो कहानी।।
💐 शुभमस्तु!
20.04.2020 ◆ 9.50 पूर्वाह्न।
Really Nice Story & Thanks for sharing.
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