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✍ शब्दकार ©
🏡 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम
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इधर - उधर
मत टहल,
घर पर बहल,
कर सहन,
घर पर रह।
घर अंदर चल ,
अभद्र मत बन ,
मत अब तन,
बरतन मल ,
घर मत छल,
हर पल -पल
घर पर रह।
मत कर कर्म ,
मत कर धर्म ,
मत कर अधर्म,
रक्ष -रक्ष तन चर्म,
आपद - धर्म,
मत रह गर्म,
कण भर कर शर्म,
घर पर रह।
शयन कर,
सृजन कर ,
भजन कर ,
यजन कर,
सब तज ,
अंदर भज,
नृत्य कर ,
कष्ट मत सह,
घर पर रह।
तव घर महल,
लख चहल -पहल ,
मत दहल,
न कर पहल,
मृत जहर -कण कहर,
ठहर ,ठहर , ठहर,
घर पर ठहर ,
घर पर रह।
क्षय ही क्षय ,
नय न अनय,
भय !भय !!भय!!!,
रह अभय,
रक्ष तन -वय,
उन्नत नर ,
न बन गर्दभ,
कह ॐ हर हर नमः,
घर पर रह।
💐 शुभमस्तु !
09.04.2020 ◆4.30 अपराह्न।
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