शुक्रवार, 10 अप्रैल 2020

घर पर रह [ अतुकान्तिका ]


●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
✍ शब्दकार ©
🏡 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●

इधर - उधर 
मत टहल,
घर पर बहल,
कर  सहन,
घर पर रह।

घर  अंदर चल ,
अभद्र मत बन ,
मत  अब तन,
बरतन मल ,
घर मत छल,
हर पल -पल
घर पर रह।

मत कर कर्म ,
मत कर धर्म ,
मत कर अधर्म,
रक्ष -रक्ष  तन चर्म,
आपद - धर्म,
 मत रह गर्म,
कण भर कर शर्म,
घर पर रह।

शयन कर,
सृजन कर ,
भजन कर , 
यजन कर,
सब तज ,
अंदर भज,
नृत्य कर ,
कष्ट मत सह,
घर पर रह।

तव घर महल,
लख चहल -पहल ,
मत दहल,
न कर पहल,
मृत जहर -कण कहर,
ठहर ,ठहर , ठहर,
घर पर ठहर ,
घर पर रह।

क्षय   ही क्षय ,
नय न अनय,
भय !भय !!भय!!!,
रह अभय,
रक्ष तन -वय,
उन्नत नर ,
न बन गर्दभ,
कह ॐ हर हर नमः,
घर पर रह।

💐 शुभमस्तु !

09.04.2020 ◆4.30 अपराह्न।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...