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✍️ शब्दकार ©
🇮🇳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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-1-
भारत देश महान है , संस्कृति इसकी शान।
रक्षा में नित जूझते,सैनिक सबल महान।।
सैनिक सबल महान,आन पर प्राण छोड़ते ।
करते जी भर त्राण, नहीं वे कदम मोड़ते।।
'शुभं 'न घर का मोह,यहीं है उनकी ज़्यारत।
करते हम सम्मान,देश यह अपना भारत।।
-2-
भारत भाषा बहुल है, हिंदी उसकी प्राण।
अपनाएँ हिंदी सभी, हिंदी से ही त्राण।।
हिंदी से ही त्राण, दासता छोड़ विदेशी।
दें हिंदी का साथ ,बनें सर्वत्र स्वदेशी।।
'शुभम'मान की बात,नहीं हों हम सब गारत।
पढ़ें, लिखें हम खूब,मातृभाषा से भारत।।
-3-
भारत का ऊँचा रहे, सदा तिरंगा एक।
केसरिया है शौर्य का,शांति प्रदायक सेत।।
शांति प्रदायक सेत, हरा देता हरियाली।
फसलें दे धनधान्य,रहे चहुंदिशि खुशहाली।
'शुभम' न गिरता मान, नहीं हम होते गारत।
नील चक्र है शान, उच्च ही रहना भारत।।
-4-
भारत के कवि गा रहे,महिमा का गुणगान।
वीरों में उत्साह दे ,प्रेरक प्रवर महान।।
प्रेरक प्रवर महान, राष्ट्र सर्वोपरि उनको।
गीता का संदेश, प्रेरणा देता मन को।।
'शुभम' कबीरा सूर, संत मीरा परमारथ।
अमर हुए वे आज, उठाते ऊँचा भारत।।
-5-
भारत में गंगा बहे, पावन यमुना धार।
पापों से जो तारतीं,करतीं भव से पार।।
करतीं भव से पार, सदा सरयू, कावेरी।
प्रबल नर्मदा धार,नहीं करतीं क्षण देरी।।
'शुभम' त्रिवेणी मात, नहीं होने दे गारत।
गोदावरी महान,अमर करतीं हैं भारत।।
🪴 शभमस्तु !
०२.०२.२०२१◆१०.१५आरोहणम मार्त्तण्डस्य।
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