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✍️ शब्दकार©
🇮🇳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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करें सभी मिल सुजन आरती।
देती माँ आशीष भारती।।
जन्मभूमि यह पूज्य हमारी।
खिली विविध रंगों की क्यारी।।
सबको ही माँ सदा तारती।
देती माँ आशीष भारती।।
संतानें कृतघ्न क्यों होवें?
चादर तान न यों हम सोवें।।
ढूँढ़ - ढूँढ़ माँ शत्रु मारती।
देती माँ आशीष भारती।।
हम अपना कर्तव्य निभाएँ।
देश - धर्म पर बलि- बलि जाएँ।।
कष्टों से माँ नित उबारती।
देती माँ आशीष भारती।।
मानव - तन में हम जन्माए।
माँ से अन्न - नीर हम पाए।
हम भारत - संतान ज्यारती।
देती माँ आशीष भारती।।
माँ से उऋण न होता कोई।
'शुभम' लाज क्यों जन ने खोई।
माटी का कर तिलक हों व्रती।
देती माँ आशीष भारती।।
🪴 शुभमस्तु !
२४.०२.२०२१◆९.००पतनम मार्तण्डस्य।
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