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✍️शब्दकार
🪴 डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'
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दूसरों में सीख वे भरने लगे हैं।
देख लें ये ऐपिये कितने सगे हैं।।
धर्म के अवतार की कथनी ये कैसी,
सो रहे या ये सभी मन से जगे हैं।
कोई चिकत्सक,वैद्य,शिक्षक है यहाँ पर,
बीमारियों से खुद वही इतने पगे हैं।
चाहिए उनको न कोई शुल्क पैसा,
ज्ञान को ही बाँटते पकने लगे हैं।
खुद कभी सोचा नहीं हम भी करें कुछ,
नित मगर परमार्थ के झरने बहे हैं।
हर गली में आज हैं उस्ताद सारे,
तानपूरे - से मगर बजने लगे हैं।
'शुभम'अपने कर्म की पहचान किसको,
अख़बार में भी नाम छपने के नशे हैं।
ऐपिए= व्हाट्सऐपिये
🪴 शुभमस्तु !
०४.०२.२०२१◆२.००पतनम मार्त्तण्डस्य।
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