बुधवार, 10 फ़रवरी 2021

अम्मा देखो ! [ बाल कविता ]


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✍️ शब्दकार ©

🪴 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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रात   नहीं  अब  अम्मा देखो!

तारे   ऊँघे    अम्मा     देखो!!


पूरब     में    छाई  है   लाली ,

चिड़ियाँ चहकीं  अम्मा देखो!


कलियाँ चटकीं फूल खिले हैं,

खुशबू  फैली  अम्मा  देखो!!


कुक्कड़ कूँ  भी बाँग  दे रहा,

बतखें  घूमें  अम्मा    देखो !!


चूँ - चूँ  चहक   रही   गौरैया,

कोयल  कूकी  अम्मा देखो!!


मंद -  मंद  शीतल   बयार है,

बाबा जागे    अम्मा   देखो!!


'शुभम' गुटर- गूँ  करे  कबूतर,

छत पर जाकर अम्मा  देखो!!


🪴 शभमस्तु !


०८.०२.२०२१◆७.१५ पतनम मार्त्तण्डस्य।

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