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✍️ शब्दकार ©
🪴 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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रात नहीं अब अम्मा देखो!
तारे ऊँघे अम्मा देखो!!
पूरब में छाई है लाली ,
चिड़ियाँ चहकीं अम्मा देखो!
कलियाँ चटकीं फूल खिले हैं,
खुशबू फैली अम्मा देखो!!
कुक्कड़ कूँ भी बाँग दे रहा,
बतखें घूमें अम्मा देखो !!
चूँ - चूँ चहक रही गौरैया,
कोयल कूकी अम्मा देखो!!
मंद - मंद शीतल बयार है,
बाबा जागे अम्मा देखो!!
'शुभम' गुटर- गूँ करे कबूतर,
छत पर जाकर अम्मा देखो!!
🪴 शभमस्तु !
०८.०२.२०२१◆७.१५ पतनम मार्त्तण्डस्य।
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