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✍️शब्दकार ©
🍀 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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चोर ख़ुद को नहीं चोर कहता है।
जमाना भले उसे चोर कहता है।।
मन मोह लिया है वंशी वाले ने,
ब्रज का हर गाँव चितचोर कहता है।
चुराता रहता है सुख चैन जमाने का,
उसे भी भला कौन चोर कहता है।
बिना पूछे जो छीनता धन को,
बच्चा - बच्चा उसे चोर कहता है।
शाहों की शक्ल में सरदार दस्यु देखो,
'शुभम' कौन उसे दीवाना चोर कहता है।
🪴 शुभमस्तु !
२८.०२.२०२१◆५.००पतनम मार्तण्डस्य।
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