★★★★★★★★★★★★★★★
✍️ शब्दकार ©
🌾 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
★★★★★★★★★★★★★★★
हमें देश की माटी प्यारी।
महिमा है इसकीअति न्यारी।।
गेहूँ, चना, धान , जौ देती।
आलू ,गोभी सब्जी जेती।।
खिलते जूही, बेला, गेंदा।
नीबू , मीठे आम, फरेंदा।।
चरती हरी घास सब गायें।
खाकर भैंसें खड़ी रंभाएँ।।
बेलों पर मीठे फल आते।
तरबूजे खरबूज सुहाते।।
देती माटी चाँदी, सोना।
कुदरत को पड़ता है बोना।।
लकड़ी ,ईंधन ,पानी, मिलते।
चलती हवा पत्र सब हिलते।।
जामुन,आम, अनार ,पपीता।
कौन'शुभम' कुदरत से जीता!
🪴शुभमस्तु !
०८.०२.२०२१◆७.००पतनम मार्त्तण्डस्य।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें