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✍️ शब्दकार ©
🪴 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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किसने ये संसार बनाया!
उजली धूप कहीं घन छाया।।
तरह-तरह के जीव बनाए।
पौधे , बेलें खूब सजाए।।
अद्भुत है कर्ता की माया।
किसने ये संसार बनाया!!
मछली पानी में रहती है।
जल-विलगाव कभी सहती है?
गाय , भैंस भू के चौपाया।
किसने ये संसार बनाया !!
खेत , नदी ऊँची गिरिमाला।
अंबर, सागर, झीलें , नाला।।
हिम का गिरि साम्राज्य जमाया।
किसने ये संसार बनाया!!
दो पैरों पर चलता मानव।
कूद - फाँद है वानर का ढव।।
नभ में चिड़ियों को उड़वाया।
किसने ये संसार बनाया!!
चमकें दिन में सूरज दादा।
चंदा का रजनी का वादा।।
तारों ने अंबर चमकाया।
किसने ये संसार बनाया!!
जाड़ा , गर्मी ऋतुएँ आतीं।
वर्षा ऋतु पानी बरसाती।।
शुभ वसंत ने जग महकाया।
किसने ये संसार बनाया!!
🪴 शुभमस्तु !
२१.०२.२०२१◆४.३०पतनम मार्तण्डस्य।
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