बुधवार, 10 फ़रवरी 2021

ग़ज़ल


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✍️ शब्दकार ©

🦚 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

★★★★★★★★★ ★★★★

आज देश की  किसको चिंता।

जूझ  रहा जो  उसको  चिंता।।


लोग   देखते    जेब   तिजोरी,

सैनिक की हर  रिस को चिंता।


भरे  पेट   वालों  को  क्या है?

बाँध पोटली खिसको , चिंता।


देशप्रेम     के     कोरे     नारे,

क्या नारी  क्या नर को चिंता।


राजनीति  की कीचड़ से सन,

फैलाएँ   वे    विष को ,चिंता।


जीवन  की   राहें    सब  टेढ़ी,

कैसे  पहुँचें   घर को ,  चिंता।


'शुभम' देश   थाली का बैंगन,

ससुरालय की सबको ,चिंता।


🪴 शुभमस्तु !


०६.०२.२०२१◆६.००पतनम मार्तण्डस्य।

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