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✍️ शब्दकार ©
💄 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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-1-
माता करवा का करूँ, व्रत निर्जल मैं आज।
पति की लंबी आयु हो,स्वस्थ रहें सरताज।।
स्वस्थ रहें सरताज,निरोगी तन- मन सारा।
माँ देना आशीष, मात्र वह कंत हमारा।।
'शुभम' सजा हो शीश,मूक मन मेरा ध्याता।
लाल नेह का बिंदु,कृपा कर करवा माता।।
-2-
पावन व्रत करती रहूँ, जब तक तन में प्राण।
करवा माँ सब दुख हरें,स्वामी का कर त्राण।
स्वामी का कर त्राण, भरें घर में खुशहाली।
संतति हो नीरोग, मनाएँ सब दीवाली।।
'शुभं'न भोजन नीर,ग्रहण करना मनभावन।
अष्टम काजल पाख,चौथ की निशि ये पावन
-3-
जिनके प्रिय परदेश में,शुभ दर्शन की आस।
व्रत कर करवा चौथ का,कैसे भरें उजास।।
कैसे भरें उजास, विरह दिन- रात सताए।
चैन न दिन में लेश,रात को नींद न आए।।
'शुभम' देखती बाट,काटतीं घड़ियाँ गिनके।
पति मुख दर्शन चाह, नाथ परदेशी जिनके।।
-4-
चंदा बैरी सम लगे,पिया गए परदेश।
पूजूँ करवा चौथ मैं, कैसे,दाह विशेष।।
कैसे,दाह विशेष, पूजतीं सधवा सारी।
लंबी हो पति - आयु, नहीं आए बीमारी।।
'शुभम' न उनको याद,लगा ये कैसा फंदा।
पिया न आए आज,जलाए मुझको चंदा।।
-5-
अपने नखरे में मगन, चंदा करता देर।
करवा की निशि सो गया,ज्यों विवरों में शेर।
ज्यों विवरों में शेर,सुहागिन लिए खड़ी है।
कर में लोटा नीर,विषम यह बड़ी घड़ी है।।
'शुभम'पिया-मुख देख,लगा है तन-मन तपने
श्रीगणेश शिव पूज,उमा पूजीं कर अपने।।
🪴 शुभमस्तु !
२४.१०.२०२१◆११.१५आरोहणं मार्तण्डस्य।
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