[ चाँदनी,शरद,पूर्णिमा,मास, शीतल]
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✍️ शब्दकार ©
🌝 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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खिली चाँदनी रात है, रचा रहे हैं रास।
कृष्ण संग हैं राधिका,विमल क्वार का मास।
चाँद- चाँदनी नेह का,शोभित दृश्य ललाम।
निर्मल'शुभं'प्रकाश से,जगमग निशि का धाम
शरद-आगमन हो गया,पूनम की शुभ रात।
अमिय बरसता व्योम से,मोद भरा उर-गात।
ऋतुरानी वर्षा विदा,आया शरद प्रभात।
शीतलता भाने लगी,सम होते दिन - रात।
क्वार कुमारी पूर्णिमा चाँद निकटतम आज।
पास आ गया अवनि के,शरदागम सह साज
शरद- पूर्णिमा चंद्रिका, तारों की बारात।
निशिपति हैं दूल्हा बने,तम को देते मात।
शरद- पूर्णिमा चंद्रिका,चंचल चारु चकोर।
रजनी भर देखा करे,होने तक शुभ भोर।
मास सातवाँ क्वार का, विदा पूर्णिमा रात।
टेसू - झाँझी भी चले, दीपावलि सौगात।
मास शरद के ओसकण,बरसाते जलबिंदु।
शीतलता बढ़ने लगी,नभगत उज्ज्वल इंदु।।
ऋतु निदाघ पावस विदा,शीतल शरद तुषार
तुहिन बिंदु बरसे विमल,मानो अंबर - सार।
शरद -पूर्णिमा क्वार की,
शीतल शोभन मास।
खिलती निर्मल चाँदनी,
दीपमालिका आस।
🪴 शुभमस्तु !
२०.१०.२०२१◆९.३० आरोहणं मार्तण्डस्य।
(शरद - पूर्णिमा )
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