बुधवार, 20 अक्तूबर 2021

शरद -चंद्रिका शृंगार 🌝 [ दोहा ]

 

[ चाँदनी,शरद,पूर्णिमा,मास, शीतल]

            

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✍️ शब्दकार ©

🌝 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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खिली   चाँदनी  रात है,  रचा  रहे  हैं  रास।

कृष्ण संग हैं राधिका,विमल क्वार का मास।


चाँद- चाँदनी नेह का,शोभित दृश्य ललाम।

निर्मल'शुभं'प्रकाश से,जगमग निशि का धाम


शरद-आगमन हो गया,पूनम की शुभ रात।

अमिय बरसता व्योम से,मोद भरा उर-गात।


ऋतुरानी  वर्षा   विदा,आया शरद   प्रभात।

शीतलता  भाने  लगी,सम होते  दिन - रात।


क्वार कुमारी पूर्णिमा चाँद निकटतम आज।

पास आ गया अवनि के,शरदागम सह साज


शरद- पूर्णिमा चंद्रिका, तारों  की  बारात।

निशिपति हैं दूल्हा बने,तम को   देते  मात।


शरद- पूर्णिमा चंद्रिका,चंचल चारु चकोर।

रजनी भर देखा करे,होने तक शुभ भोर।


मास सातवाँ क्वार का, विदा पूर्णिमा रात।

टेसू - झाँझी  भी चले, दीपावलि   सौगात।


मास शरद के ओसकण,बरसाते जलबिंदु।

शीतलता बढ़ने लगी,नभगत उज्ज्वल इंदु।।


ऋतु निदाघ पावस विदा,शीतल शरद तुषार

तुहिन बिंदु बरसे विमल,मानो अंबर -  सार।


शरद -पूर्णिमा क्वार की,

                  शीतल शोभन मास।

खिलती निर्मल चाँदनी,

                       दीपमालिका आस।


🪴 शुभमस्तु !


२०.१०.२०२१◆९.३० आरोहणं मार्तण्डस्य।

     (शरद - पूर्णिमा )

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