शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2021

गिनती 🌸 [बाल कविता]


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✍️ शब्दकार ©

🌻 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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बहन  नई    कक्षा    में  आई।

सबको   गिनती  खूब रटाई।।


सूरज    चंदा      होते    'एक'।

काम करें हम मिल  कर नेक।।


'दो' का    दूना      होता   चार।

सुबह शाम   कर  लें   आहार ।।


ब्रह्मा,   कमलाकांत ,   महेश।

'तीन' देव  मिल   हरें कलेश।।


पूरब,पच्छिम, उत्तर , दक्खिन।

'चार'   दिशाओं   को लो गिन।।


'पाँच' मुखों    के हैं  शिव शंकर।

भूत, प्रेत      हैं   उनके  किंकर।।


'छह'   रस    के   होते  आहार।

मात्र 'सात'   हफ्ते      में  वार।।


'आठ'  पहर   या   कह लो याम।

करें  लगन    से   अपने   काम।।


पढ़े      पहाड़ा     'नौ'  का तोता।

जोड़ें   तो   सब    नौ    ही होता।।


'दस' तक   गिनती  हमको आई।

बंधु   'शुभम'   ने    हमें सिखाई।।


🪴 शुभमस्तु !


०१.१०.२०२१◆१२.४५

पतनम मार्तण्डस्य।

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