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समांत :आन ।
पदांत : है।
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✍️ शब्दकार ©
🏕️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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मेरा देश महान है।
संस्कार मम शान है।।
उज्ज्वल गौरव शुभ गाथा,
भारत की पहचान है।
वेद ,उपनिषद , रामायण,
इनसे सदा विहान है।
विजयादशमी दीवाली,
होली का गुणगान है।
जय हिंदी जय भारत माँ,
जय जय कृषक जवान है।
पावस ,शरद , वसंत सजे,
षडऋतुओं का मान है।
राम ,कृष्ण , सिद्धार्थ धरा,
'शुभम' शुभ्र पहचान है।
🪴 शुभमस्तु !
२५.१०.२०२१◆२.००
पतनम मार्तण्डस्य।
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