बुधवार, 6 अक्तूबर 2021

सुरसरि-सी जनमेदिनी 🛕 [दोहा]


[जनमेदिनी,प्रतिदान,वाणी, आह्वान,परिणाम]

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✍️ शब्दकार ©

🛕 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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सुरसरि-सी  जनमेदिनी,माँ दुर्गे  के  द्वार।

उमड़ी  जयकारे  लगे,माता  के  दरबार।।


देख सकल जनमेदिनी,उर में अति उल्लास

भक्त  करें मंगल 'शुभम',भरते पावन आस।।


कृष्ण  कहें  राधे सुनो,छोड़ो अपना  मान।

आलिंगन बस  एक दें,मत देना प्रतिदान।।


बिना किसी प्रतिदान के, बरसे बूँद न मेह।

वारिद  बोला  भूमि  से, मात्र चाहिए नेह।।


वाणी में  सुरभोग है ,वाणी विष का गेह।

वाणी  से  दुश्मन  बनें,वाणी से ही  नेह।।


बाण नहीं  संधान कर,बना न  वक्र कमान।

वाणी बोलें  तोलकर,हो सुगंध रस भान।।


आज अमा का है सुदिन ,करें पितर आह्वान

तर्पण अंतिम, वर्ष   का,है बुधवार विहान।।


बिना  किसी आह्वान के, देव न आते द्वार ।

सविनय जोड़ें कर युगल,लें निज उर में धार।


जैसा  बोए   बीज  तू, वैसा  हो परिणाम।

बोया  बीज  बबूल  का, उगें न मीठे  आम।।


करने का अधिकार है, मत माँगे परिणाम।

'शुभम'कर्मरत ही रहें, देखें सुबह न शाम।।


शुभ वाणी प्रतिदान से,

                      मिलता सत परिणाम।

भजती है जनमेदिनी,

                   कर आह्वान  सकाम।।


🪴 शुभमस्तु !


०६.१०.२०२१●११.४५ आरोहणं मार्तण्डस्य।


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