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✍️ शब्दकार ©
🌝 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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-1-
क्वार - मास की पूनम आई,
नर - नारी के मन को भाई,
शरद पूर्णिमा कला सोलहों,
धारित शशि को लिए सुहाई।
-2-
शरद - आगमन उस दिन होता,
मुस्काता चंद्रमा उदोता,
शरद पूर्णिमा की निशि मोहक,
लगता चाँद ले रहा गोता।
-3-
चाँद निकटतम आज धरा के,
अंबर से अमृत बरसा के,
शरद पूर्णिमा महारास से-
सम्मोहित वंशीधर पा के।
-4-
चंद्र देव की पूजा कर लें,
शिव -गिरिजा को उर में धर लें,
सँग में पूजें पुत्र षडानन,
शरद पूर्णिमा प्रभा सुघर लें।
-5-
खीर बना प्रसाद हम खाते,
अमृत सोम देव बरसाते,
शरद पूर्णिमा ही कोजागरि,
चंद्र सुधाकर भी कहलाते।
🪴 शुभमस्तु !
१९.१०.२०२१◆११.१५ आरोहणं मार्तण्डस्य।
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