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✍️ शब्दकार ©
🐒 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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देश कौन पहचाना है।
भारत माता माना है।।
साड़ी खींच रहा कोई,
रूपसि का दीवाना है।
लूट मचाता है नेता ,
वह तो घाघ पुराना है।
धन के लालच में डूबा,
समझा लूट - खजाना है।
देशभक्ति का नारा ही,
उसका छद्म तराना है।
बाहर लकदक बगुला - सा,
भीतर काला बाना है।
आदर्षों की बात करे,
स्वयं राम बन जाना है।
बनते मिट्ठू मियाँ सभी,
किंतु ग़ज़ब ही ढाना है।
अति - रावण हर गली बसे,
रावण उन्हें जलाना है।
🪴 शुभमस्तु !
३०.१०.२०२१◆ ६.००
पतनम मार्तण्डस्य।
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