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✍️ शब्दकार ©
🪞 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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कुछ अति भौतिकतावादी
करवा चौथ व्रत के बजाय
हेलमेट को बेहतर
समझने लगे हैं,
अपनी थोथी अकड़ में
घर को सड़क का
एक्सीडेंट मानने लगे हैं।
क्या सड़क के लिए ही
किस्मत लिखा कर लाए हो,
जो करवा चौथ से
इतने अधिक ख़ौफ़ खाए हो?
वह तो बिस्तर पर भी
आ धमकती है,
तक्षक बन सेव के फ़ल में से
आ निकलती है!
तब कोई हेलमेट काम
नहीं आएगा ,
वहाँ पत्नी का पातिव्रत ही
तुम्हारी जान बचाएगा!
मत उड़ो इतने ऊँचे,
मत समझो
पावन प्रथा को नीचे,
जाओगे ही
पत्नी व्रत से सींचे,
घर में बीबी से
पैर पुजवाओगे ,
और अपने मित्रों में
हेलमेट लगाने के
भाषण पिलाओगे!
छलनी में देखेगी
तुम्हारी छवि,
मंद - मंद मुस्कराओगे
जैसे रीतिकालीन कवि,
माला भी पड़ेगी,
चंदा भी ऊँची छत से
दिखवाओगे,
पर बाहर जाकर
अंग्रेज़ बन अंग्रेज़ी
पढ़ाओगे !.
अपने संस्कार
माटी में मिलाओगे।
एक ओर नारी को
मानते हो देवी!
और उधर
तन - मन से पैर की जूती!
तुम्हारी चरण सेवी,
उधर हेलमेट के गीत,
भुला बैठे हो
प्रिया का त्याग
तुम्हारी आयु वृद्धि हेतु
पत्नी की प्रीत!
क्या यही है तुम्हारी
स्वार्थवृत्ति की रीत?
कार, बस ,यान में
हेलमेट नहीं लगता,
सड़क पर पैदल भी
नहीं सुभगता!
मत करो अज्ञानता भरी
ये हकलाती तुलना!
कहां हेलमेट !
कहाँ पत्नीव्रत का पलना!
लोहे से पातिव्रत को
मत तोलो,
गलत नहीं कहता
कुछ 'शुभम' ,
अरे अज्ञानी कुछ बोलो,
पवित्र भावना में
अपना विष रस मत घोलो।
🪴शुभमस्तु !
२३.१०.२०२१◆ ८.४५ पतनम मार्तण्डस्य
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