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✍️ शब्दकार ©
🦚 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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कृष्ण रट रहे राधा -राधा,
उधर कृष्ण को ध्यातीं राधा,
बरसाने की शक्ति - स्वरूपा,
राधा कृष्ण कृष्ण की राधा।१।
राधा बरसाने से आईं,
मनमोहन के उर में छाईं,
बिना एक दूजे क्यों रहते!
राधा कृष्ण 'शुभम' सुखदाई।२।
राधा - माधव रास रचाते,
निधिवन की निशि रस बरसाते,
नर्तित संग गोपियाँ सारी,
राधा कृष्ण नृत्य मदमाते।३।
वन से धेनु चरा कर आते,
राधा कृष्ण देख सुख पाते,
शरद - चंद्रिका में गलबाँहीं,
डाले राधे श्याम सुहाते।४।
फ़ागुन के रँग ब्रज के न्यारे,
निधिवन राधा कृष्ण हमारे,
लीला प्रकृति - पुरुष की करते,
जीता जग श्रीकृष्ण - सहारे।५।
🪴 शुभमस्तु !
५.१०.२०२१◆९.४५ आरोहणं मार्तण्डस्य।
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