मंगलवार, 5 अक्तूबर 2021

राधा कृष्ण 🦚 [ मुक्तक ]


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✍️ शब्दकार ©

🦚 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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कृष्ण   रट   रहे  राधा -राधा,

उधर कृष्ण को ध्यातीं  राधा,

बरसाने की शक्ति - स्वरूपा,

राधा कृष्ण कृष्ण की राधा।१।


राधा    बरसाने       से    आईं,

मनमोहन    के  उर   में   छाईं,

बिना  एक   दूजे   क्यों   रहते!

राधा कृष्ण  'शुभम'  सुखदाई।२।


राधा -   माधव     रास   रचाते,

निधिवन की निशि रस बरसाते,

नर्तित    संग      गोपियाँ  सारी,

राधा  कृष्ण    नृत्य    मदमाते।३।


वन    से   धेनु   चरा   कर   आते,

राधा कृष्ण      देख   सुख   पाते,

शरद   -   चंद्रिका    में    गलबाँहीं,

डाले    राधे      श्याम     सुहाते।४।


फ़ागुन    के   रँग   ब्रज   के न्यारे,

निधिवन        राधा कृष्ण    हमारे,

लीला   प्रकृति -   पुरुष की करते,

जीता    जग   श्रीकृष्ण  -  सहारे।५।


🪴 शुभमस्तु !


५.१०.२०२१◆९.४५ आरोहणं मार्तण्डस्य।


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