मंगलवार, 12 अक्तूबर 2021

बुरुष, दंत-पेस्ट सब त्यागें🪥 [ बाल कविता ]

 

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✍️ शब्दकार©

🌳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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बुरुष,  दंत- पेस्ट  सब  त्यागें।

हम  सब   भरतवासी   जागें।


दंत- पेस्ट  हैं  मुख के दुश्मन।

मुख को दूषित करते हर छन।


उपयोगी     जीवाणु   नसाते।

स्वाद नष्ट   कर संकट   लाते।


तोड़ नीम   की   दातुन  लाएँ।

कूँची  बना   दाँत    चमकाएँ।


उत्तम  है  बबूल  की   दातुन।

करें मसूड़ों  का  सशक्त तन।


दातुन अपामार्ग  की जड़ की।

स्मृतिवर्द्धक धी कण-कण की।


दातुन चीर   जीभ  को  माँजें।

स्वाद-कली की सुषमा साजें।


हमने   छोड़े  तुम  भी  छोड़ें।

पेस्ट,बुरुष से  मुख को मोड़ें।


दातुन कर  मुखरोग   भगाएँ।

'शुभम'स्वाद भोजन का पाएँ।


🪴 शुभमस्तु  !


१२.१०.२०२१◆६.३०आरोहणं मार्तण्डस्य।


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