सोमवार, 7 फ़रवरी 2022

सजल


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समांत  :'आया'।

पदांत:    वसंत।

मात्राभार:16.

मात्रा पतन: शून्य।

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कोकिल      बोला   आया वसंत

जड़ - चेतन    में      छाया वसंत


पीली   -   पीली       फूली सरसों

वन -  उपवन     को भाया वसंत


बूढ़े    पीपल      के   अधर लाल

मधुकर   ने     नित    गाया वसंत


मंथर  -  मंथर     अभिसार    हेतु

सरिता      ने        अपनाया  वसंत


तन-मन की कलियाँ खिलीं -खिलीं

मादक       सुगंध       लाया  वसंत


होली       की        धूमधाम   न्यारी

ढप  -    ढोलक   ले   ताया  वसंत


ऋतुपति    का     स्वागत चलो   करें

वह      देखो         मुस्काया   वसंत


वल्लरी    आम्र    से   लिपट     गई

महुए       में       कुचियाया   वसंत


माघी      पंचमी      'शुभम'      आई

वाणी     -   वंदन       पाया   वसंत


🪴 शुभमस्तु !

०७.०२.२०२२◆६.१५ आरोहणं मार्तण्डस्य।



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