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समांत :'आया'।
पदांत: वसंत।
मात्राभार:16.
मात्रा पतन: शून्य।
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कोकिल बोला आया वसंत
जड़ - चेतन में छाया वसंत
पीली - पीली फूली सरसों
वन - उपवन को भाया वसंत
बूढ़े पीपल के अधर लाल
मधुकर ने नित गाया वसंत
मंथर - मंथर अभिसार हेतु
सरिता ने अपनाया वसंत
तन-मन की कलियाँ खिलीं -खिलीं
मादक सुगंध लाया वसंत
होली की धूमधाम न्यारी
ढप - ढोलक ले ताया वसंत
ऋतुपति का स्वागत चलो करें
वह देखो मुस्काया वसंत
वल्लरी आम्र से लिपट गई
महुए में कुचियाया वसंत
माघी पंचमी 'शुभम' आई
वाणी - वंदन पाया वसंत
🪴 शुभमस्तु !
०७.०२.२०२२◆६.१५ आरोहणं मार्तण्डस्य।
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