गुरुवार, 17 फ़रवरी 2022

सूरज -चाँद 🌕 [ बाल कविता ]


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✍️शब्दकार ©

🌞 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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सूरज  के हिस्से  दिन  आया।

निशि-अँधियारा शशि ने पाया।


सूरज   देता   तेज    उजाला।

चमकाता चंदा   तम  काला।।


संग उषा   के   सूरज  आता।

साथ  चाँदनी  चाँद  सुहाता।।


डरते   सूरज   चाँद   अकेले।

चलते सँग में  नारी ले -  ले।।


उषा विदाकर रवि को जाती।

साथ चाँदनी सदा  निभाती।।


अँधियारे  से    सूरज   डरता।

अतः उषा का सँग वह करता।


किंतु औऱ  भी   डरता   चंदा।

चले  चाँदनी  के  सँग   मंदा।।


उदय काल से साथ  निभाती।

उगती भोर-किरण तब जाती।


सूरज जब  अस्ताचल  जाता।

चंदा  उदयाचल  पर  छाता।।


 🪴शुभमस्तु  !


१७.०२.२०२२◆४.३०

पतनम मार्तण्डस्य।

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