सोमवार, 21 फ़रवरी 2022

 स्वर -हार चाहिए 🪴

         🦚 सजल  🦚

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समांत: आर।

पदांत: चाहिए।

मात्राभार: 16

मात्रापतन: शून्य।

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✍️ शब्दकार ©

🪦 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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मानव - उर  को प्यार चाहिए

हरा - भरा   संसार     चाहिए


स्वर  के   बिना नहीं है वाणी

व्यंजन को स्वर -हार  चाहिए


भले न दिखते  चर्म - चक्षु  से 

सम्बन्धों   को   तार   चाहिए


बातों  से यदि  बात न  बनती 

अरिदल को असिधार चाहिए


नाच   उठेगी   सरसों   पीली

वासंती     उपहार     चाहिए


होली  नहीं   रंग   से    होती

रंग -  रँगीली    नार   चाहिए


गल्प  अकेले   कब  होती है

समभावी  दो - चार   चाहिए


चाहें  यदि  सम्मान जगत में

प्रेम भरा   व्यवहार   चाहिए


भावों का  जब   सागर  उमड़े 

सजल 'शुभम'उर-द्वार चाहिए


🪴शुभमस्तु !


२१.०२.२०२२◆६.००आरोहणं मार्तण्डस्य।

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