रविवार, 6 फ़रवरी 2022

सुमनों की सुगंध 🥀🌹 [ बालगीत ]


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✍️ शब्दकार ©

🌹 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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सुमनों की सुगंध अति भाती।

किंतु कहाँ  से  उनमें  आती।।


गेंदा,  पाटल,  जूही    मिलते।

कुंद, चमेली , चंपा  खिलते।।

कमल कुमुदिनी सर मुस्काती

सुमनों की सुगंध अति भाती।


सरसों,   सूरजमुखी   फूलते।

रस पी   भौंरे   वहाँ   झूलते।।

रजनीगंधा  निशि   महकाती।

सुमनों की सुगंध अति भाती।


गुडहल,  गुलबहार   या  चेरी।

खिलती प्रातः मॉर्निंग ग्लोरी।।

कलगी,वाटर लिली  सुहाती।

सुमनों की सुगंध अति भाती।


कंद,   जीनिया ,टेसू   महके।

तितली उड़े मंद कुछ कह के।

मन ही मन वह गुनगुन गाती।

सुमनों की सुगंध अति भाती।


माटी   एक   रंग   हैं  कितने!

फूलों में  जो  खिलते  इतने।।

जाड़ा ,  गरमी  या  बरसाती।

सुमनों की सुगंध अति भाती।


🪴 शुभमस्तु !


०५.०२.२०२२◆८.३० 

पतनम मार्तण्डस्य।

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