रविवार, 6 फ़रवरी 2022

कौन यहाँ रहने को आया! ❇️ [ गीत ]

 

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✍️ शब्दकार ©

🏕️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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कौन  यहाँ  रहने  को  आया !

विदा हो गया समय बिताया!!


किए   गर्भ   में   कितने वादे।

बदल दिए  फिर नेक  इरादे।।

माया ने नित जीव   लुभाया।

कौन यहाँ  रहने  को आया!!


खेल - खेल में बचपन  बीता।

यौवन काम - कला ने जीता।।

कामिनि का मादक तन भाया

कौन  यहाँ  रहने  को आया!!


दो  से  तीन ,तीन  से कितने!

नहीं   सोचता  बढ़ते   इतने!!

घर -परिवार  बढ़ा  ही  पाया।

कौन यहाँ रहने  को  आया!!


पढ़ता  नहीं   वेद  या  गीता ।

आधा  जीवन   बीता  रीता।।

धन,पद,यौवन मद इठलाया।

कौन यहाँ  रहने  को आया।।


यश, सम्मान- नदी मतवाली।

लहरें   ऊँची  उठीं  निराली।।

यौवन - मंत्र  तंत्र  पर  छाया।

कौन यहाँ रहने  को  आया।।


अहंकार  का   बोझा   भारी।

मात्र दीखते धन,यश ,नारी।।

ज्यों सुमनों पर अलि मँडराया

कौन यहाँ  रहने  को  आया।।


यौवन   गया    प्रौढ़ता   छाई।

तन की  शक्ति  गई  मुरझाई।।

इन्द्रिय बल नित क्षीण कराया

कौन  यहाँ  रहने को आया।।


श्वासों का हिसाब गिनती का।

निकल गया पल प्रभु विनती का।

एक  न  गीत  ईश  का  गाया।

कौन  यहाँ  रहने  को आया!!


बिस्तर    बँधा    हुई   तैयारी।

श्वास - संपदा  विदा  हमारी।।

अंतिम शब्द राम  कब आया!

कौन यहाँ  रहने  को  आया।।


🪴 शुभमस्तु !


०६.०२.२०२२◆४.१५

 पतनम मार्तण्डस्य।


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