शनिवार, 5 फ़रवरी 2022

आसपास ऋतुराज हैं! 🌻🌻 [ दोहा गीतिका ]


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✍️ शब्दकार ©

🌻 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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माता वीणावादिनी  ,   तिथि पंचमी   वसंत।

ब्रह्मलोक से प्रकट  हो,करतीं कृपा अनंत।।


बौराए  हैं आम्र के, सघन हरित   रँग   पेड़,

आसपास ऋतुराज हैं,सब ऋतुओं के कंत।


सरसों  फूली  खेत  में, गेंदा, पाटल,  ढाक,

भँवरे  बतियाने  लगे, शीत कर  रहा  अंत।


अयन उत्तरी  ओर ही,करते रवि    प्रस्थान,

मादकता उर में जगी,तन के जगमग   तंत।


मंथर-मंथर मौन धर,सरिता निधि अभिसार,

संयम  से मिलते युगल, निखरे - सुथरे  पंत।


विटपों से लिपटीं लता,कसकर ज्यों भुजबंध

वेला ब्रह्ममुहूर्त की,स्नात सरित   तट  संत।


महुआ महके बाग में,मह -मह उठी  सुगंध,

आकर्षण बढ़ने लगा,वाणी 'शुभम'   भनंत।


पंत =मार्ग।


🪴 शुभमस्तु !


०५.०२.२०२२◆२.०० 

पतनम  मार्तण्डस्य।

वसंत पंचमी।

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