सोमवार, 28 फ़रवरी 2022

कर्मठता में लक्ष्य 🪴 [ गीतिका ]

 

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✍️शब्दकार ©

🪴 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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समय  सदा अनुकूल न  होता।

जीवन-पथ नित फूल न  होता।।


बाधाओं   से   हार    न   मानें,

हर  बाधा  में   शूल  न   होता।


कर्मठता  में  लक्ष्य    छिपा  है,

फल  कर्मों  का  धूल  न होता।


मुखड़ों  से मत  धोखा  खाना,

हर मुखड़े  पर ऊल   न  होता।


वसन-वसन का पृथक मोल है,

अवगुंठन  मुख - झूल न होता।


कितने   पादप   और   लताएँ ,

हर  पादप में   मूल   न   होता।


'शुभम' चुभन  देने   वाला हर,

मानव शूल   बबूल   न   होता। 


ऊल =उल्लास।

मुख-झूल= मुख पर झूलता हुआ वस्त्र।



🪴 शुभमस्तु !


२८.०२.२०२२◆८.३० आरोहणं मार्तण्डस्य।

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