गुरुवार, 12 मई 2022

प्यासी गौरैया 🐥 [बाल कविता]

 

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✍️ शब्दकार©

🐥 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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सूख  रहे  सब  ताल -तलैया ।

प्यासी  भटक  रही   गौरैया।।


आसमान   से    बरसें   शोले।

मरते  प्यासे    पंछी    भोले।।


गरम  तवे - सी  तपती धरती।

निकली चिड़िया डर -डरती।।


दाना - दुरका  चुगने  निकली।

चिड़िया ने जब देखी तितली।


नहीं   दिखाई     देता   पानी।

कौन मिलेगा जल का दानी।।


मिली एक  तब   टूटी   छानी।

बैठ   छाँव   में  गई  सयानी।।


प्राण   बचें   कैसे    अब  मेरे।

सुप्त  पड़े    हैं   पेड़   घनेरे।।


टपक  रहा था नल पर पानी।

प्यास यहीं अब मुझे बुझानी।


कोशिश तनिक काम तो आई

टोंटी   ठोंकी   चोंच   बजाई।।


कर्ता ने  शुभ   उक्ति   सुझाई।

गौरैया  ने    प्यास    बुझाई।।


🪴 शुभमस्तु !


११.०५.२०२२◆१२.३०

 पतनम मार्तण्डस्य।


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