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✍️ शब्दकार ©
🏔️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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संतति के हित माँ की छाया।
किसे न माँ का नेह लुभाया!!
माता है जग की कल्याणी।
सीता, रमा,शक्ति ,माँ वाणी।।
सकल सृष्टि पर उनका साया।
संतति के हित माँ की छाया।।
देती जन्म जननि कहलाती।
पिला दूध पोषण करवाती।।
थपकी देकर पूत सुलाया।
संतति के हित माँ की छाया।।
संतति की रक्षा में सूखे।
खा लेती भोजन माँ रूखे।।
गीले बिस्तर सो सुख पाया।
संतति के हित माँ की छाया।।
आजीवन हित-चिंतन करती।
संतति के सुख जीती-मरती।।
समता में है कौन समाया!
संतति के हित माँ की छाया।।
शक्ति - स्वरूपा माता होती।
देती है संतति हित मोती।।
निशि दिन कष्ट उठाती काया।
संतति के हित माँ की छाया।।
माता का उपकार न माने।
लगते रौरव - ताप सताने।।
क्यों नर- जन्म जीव ने पाया?
संतति के हित माँ की छाया।।
मानव - तन है भाग्य हमारा।
आजीवन है जननि -सहारा।।
'शुभम्' मात ने सुत अपनाया।
संतति के हित माँ की छाया।।
🪴 शुभमस्तु !
२४ मई २०२२◆ ११.००आरोहणम् मार्तण्डस्य।
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