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✍️ शब्दकार ©
🏞️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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गंगा माँ की पावन धारा।
करती है कल्याण हमारा।।
हरिद्वार को हम जाते हैं।
सीढ़ी बैठ नहा आते हैं।।
है विशाल रमणीक किनारा।
गंगा माँ की पावन धारा।।
गंगोत्री से बहकर आती।
औषधिमय शीतल जल लाती
सुख पाता जो पथ में हारा ।
गंगा माँ की पावन धारा।।
हरती रोग पाप माँ गंगा ।
जाता कोई पापी नंगा।।
देती सबको सदा सहारा।
गंगा माँ की पावन धारा।।
पथ गंगा के अति पथरीले।
ऊँचे पर्वत, वन, भी टीले।।
मनसा देवी पर्वत न्यारा।
गंगा माँ की पावन धारा।।
नीलकंठ, ऋषिकेश सुपावन।
लक्ष्मण झूलाअति मनभावन।
झूला राम नाम का प्यारा।
गंगा माँ की पावन धारा।।
🪴 शुभमस्तु !
२४ मई २०२२ ◆८.००आरोहणम् मार्तण्डस्य।
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