बुधवार, 10 अप्रैल 2019

मेरी कुर्सी!मेरी कुर्सी!! [बाल गीत ]

आओ बच्चो ! हम सब
खेलें  कुर्सी  ! कुर्सी !!
मेरी कुर्सी ! मेरी कुर्सी !!
मेरी  कुर्सी!!!

साथ     खायेंगे साथ पीएं
पर          लड़ते     रहना।
अलग -अलग झंडे के नीचे
भिड़ते                रहना ।।
जनता समझेअलग -अलग
पर     मिलके        रहना।।
अखबारों  में रोज़ कीचड़ें,
फिंकते                रहना।।
सत्ता  हथियाने की हमको
केवल                 तुरसी।
आओ  बच्चो ! ............

बॉल  हमारे  कभी तुम्हारे 
पाले        में             हो।
हाथी     के        ये    दाँत
मात्र    दिखलाने  में  हों।।
खाने          वाले      दाँत 
किसी को क्यों दिखलायें?
बारी- बारी मेवा किशमिश
हम  -     तुम        खाएं।।
सुखदायक        है    सदा,
नहीं  ये असुरा -  सुरसी।।
आओ बच्चो!.........

कु -रस      उसी    के लिए
नहीं   मिल  पाती जिसको।
सरस     उसी      के  लिए
कभी मिल जाती जिसको।
लड़ना तो दिखलाने के हित
नाटक     -     सा          है।
कुर्सी  के हित लक्ष्य साधना
त्राटक  -  सा               है।
रसगुल्ला-सी मधुर मनोहर
मिश्री               गुर-सी ।।
आओ बच्चो ..............

आओ  चिड़ियों के पिंजरे में
दाना                       डालें।
जिसके   फंदे  में आ जाए
तुरत       फँसा           ले।।
चित भी अपनी पट भीअपनी
ख़ूब          मज़ा          लें।।
बैनर बन्दनवार      गली  में 
चटख           सज़ा       लें।।
खेलो         कूदो        हँसो ,
नहीं    ये       मातमतपुर्सी।
आओ बच्चो ..............।।

💐शुभमस्तु !
✍रचयिता © 
🌷 डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'

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