गुरुवार, 11 अप्रैल 2019

मंत्री हुए तंत्री [दोहावली]

 लेता  की  फसलें खड़ीं,
कटने      को      तैयार।
हंसिए  पर जनता रखे,
तीखी    पतली    धार।।

जनता के  कर  में दबा,
दंतिया    परदे      पार।
ढेरी   अपनी  जानकर
ढेर     हुए    दो   चार।।

ऊपर    दाता -हाथ   है,
नीचे        लेता -हाथ।
देने    वाला    ही  बड़ा,
लेता  नत सिर -माथ।।

मति से मत का मन बना,
फिर  कर मत  का दान।
यदि   सुपात्र  को दान है,
लोकतंत्र          सम्मान।।

नेता        ऐसा     चाहिए,
जैसा    फूल        ग़ुलाब।
दूर -दूरतक  महक का ,
जन - जन  में   फैलाब।।

घड़ियाली  आँसू  ढुलक,
बहते    जिनके     गाल।
वे   संसद  में    बैठकर ,
भूलें    जन    का  हाल।।

पचपन  फ़ीसद  खा रहा,
'किशमिश' ग्राम- प्रधान।
क्या   सांसद   मंत्री करें,
मेरा       देश     महान।।

सब   कोई   मंत्री  कहें ,
तंत्री    जिसका   काम।
लोकतंत्र    में    तंत्र ही ,
चलता  सुबहो -शाम।।

तंत्र   नाम  है जाल का,
फांसो     अपने   अर्थ।
जो फांसे 'पंछी' अधिक,
'तंत्री '    वही    समर्थ।।

मंत्रों   के   वे  दिन गए,
मन्त्र    हुए    निस्सार।
मंत्री  बैठा   क्या  करे,
खुले    तंत्र   के  द्वार।।

ये   मंत्री    मंत्री   नहीं,
तंत्री     कहिए    मित्र।
इनके  तंत्रों  से सजा ,
प्रजातंत्र    का   चित्र।।

एक  तंत्र     है  वेब का ,
दूजा       नेता  -  तंत्र।।
तंत्र -कुंडली जो फँसा,
काम  न   आवे   मंत्र।।

मंत्रालय  के  नाम सब ,
बदलेगी       सरकार।।
तंत्रालय   होंगे    सभी,
तंत्रों    की   झनकार।।

तंत्रालय  भी   जाएँगे,
यंत्रालय   की    ओर।
यंत्रों   से   सत्ता  चले ,
यंत्री      बैठे     बोर।।

मंत्री    से    तंत्री  बने ,
तंत्र     चलाए     यंत्र।
यंत्री  फिर कहलायेंगे,
नहीं     रहेगा     मंत्र।।

💐 शुभमस्तु!
✍  रचयिता ©
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'

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