शुक्रवार, 26 अप्रैल 2019

बस वही गीत है [गीत]

जो  उर में  उतर जाए ,
बस    वही   गीत   है।
जो  तार    झनझनाए,
गीत   की   जीत   है।।

शब्दों    की   जो  पहेली
उलझाती     है       हमें।
ज्यों  मछलियाँ तड़पती,
तड़पाती      हैं       हमें।।
जो खोदता मष्तिष्क को
वह   गीत      है    कहाँ?
जो   खोदता है कोष को,
यह    रीत       है    कहाँ?
बरसाए  नेह -  मेह   जो,
साँची      वह     प्रीत  है।
जो   उर  में ....

भटकाव याअटकाव की,
भाषा       न      जानता।
  ऊहापोह या भ्रमजाल का
लासा     न      मानता।।
रसधार का बहता हुआ ,
निर्झर       ही     गीत है।
कंकड़ या काँटों से भरा,
पथ    भी   न   गीत है।।
मंथन से दधि के जो मिले
मधुर      नवनीत      है।
जो उर में....

गर्मी     नहीं   सर्दी   नहीं,
मोहक       वसंत        है।
सावनमास की बूंदें विरल
आनंद     अनन्त       है।।
रौद्र   या   वीभत्स   नहिं,
 शृंगार       कंत          है।
शैतान   या   दानव  नहीं,
मानव    है      संत   है।।
सीधी सरल सी चाल में,
चलने    की    रीत     है।
जो  उर  में ...

रस  छन्द  लय के   तार,
झनझनाते    हैं      यहाँ।
भौंरे      तितलियाँ    भी,
गुनगुनाते      हैं     यहाँ।।
कोयल की मधुर कूक भी,
मोरों      की      बोलियाँ।
हँसते     हुए    फूलों  की,
महमहाती     झोलियाँ।।
प्रकृति    का   शृंगार  ही,
गीतों     का     मीत    है।
जो उर में ....

फ़ाल्गुन  में होलिका का,
उछला     ये       रंग   है।
कार्तिक की दीपमालिका
श्रावण   -   उमंग   है।।
लहराती   हुई   गंगा  की,
निर्मल        तरंग       है।
तेरे   मेरे  उर मिलन का ,
प्राकृत      सुसंग     है।।
मन 'शुभम 'का रिझवाये,
तेरा   भी      मीत      है।
जो उर में ....

💐 शुभमस्तु!💐
✍ रचयिता©
💞 डॉ. भगवत स्वरूप  'शुभम'

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