देश की आज़ादी के लिए देशभक्त महात्मा गांधी के नेतृत्व में अंग्रेज़ी शासन औऱ प्रशासन का विरोध उग्र रूप से कर रहे थे। उस आंदोलन में मेरे पूज्य पितामह (बाबा) स्व.तोताराम निवासी : ग्राम-पुरा लोधी, थाना :खंदौली, तहसील :एत्मादपुर, आगराभी पूर्ण रूप से सक्रिय थे। वे 1932 और 1942 में अनेक बार सत्याग्रह आंदोलन के कारण जेलयात्रा भी कर चुके थे।
उसी समय की एक घटना मेरी पूजनीया दादी श्रीमती जानकी देवी मुझे सुनाया करती थीं। वे बताती थीं कि एक बार एक अंग्रेज़ अधिकारी हेट शूट धारी घोड़े पर सवार, बड़ा ही तेज तर्रार, गाँव पुरा लोधी में आया और हमारी ही चौपाल पर खड़े एक नीम के पेड़ पर अंग्रेज़ी सरकार का झंडा लगाने की कोशिश करने लगा। तभी गाँव की महिलाओं को पता चला। मेरे बाबा तथा गांव के ही पाँच अन्य स्वाधीनता सेनानी गांव से बाहर रहकर अंग्रेज़ी प्रशासन के विरुद्ध गतिविधियों में संलग्न थे। घर वालों को भी ये पता नहीं होता था कि कहाँ हैं और क्या कर रहे हैं। कभी जेल से बाहर तो कभी अंदर। बस यही सब चल रहा था। एक बार बरहन - हाट लूट कांड के आरोप में पूरे गाँव पर सामूहिक जुर्माना भी लगाया गया था। फिर क्या था, महिलाएं एकत्र हो गईं और मेरी दादी के नेतृत्व में उन्होंने उसे पकड़ लिया और जबरन लहँगा- चुनरी, चूड़ियाँ पहनाकर उसके हेट को उतार लिया औऱ दूध औटाने वाली हँड़िया को उसके सिर पर औंधा लटका दिया । फिर तो उस फिरंगी ऑफिसर को उल्टे पैर भागते ही बना । इसके साथ ही दादी के साथ की महिलाओं के समूह ने गांव के ही छोटे - लड़कों के सहयोग से तिरंगा।झंडा उसी नीम के पेड़ पर फहरा दिया।
वंदे मातरम!
जय हिंद !!
जय भारत!!!
💐 शुभमस्तु !
✍लेखक ©
डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
उसी समय की एक घटना मेरी पूजनीया दादी श्रीमती जानकी देवी मुझे सुनाया करती थीं। वे बताती थीं कि एक बार एक अंग्रेज़ अधिकारी हेट शूट धारी घोड़े पर सवार, बड़ा ही तेज तर्रार, गाँव पुरा लोधी में आया और हमारी ही चौपाल पर खड़े एक नीम के पेड़ पर अंग्रेज़ी सरकार का झंडा लगाने की कोशिश करने लगा। तभी गाँव की महिलाओं को पता चला। मेरे बाबा तथा गांव के ही पाँच अन्य स्वाधीनता सेनानी गांव से बाहर रहकर अंग्रेज़ी प्रशासन के विरुद्ध गतिविधियों में संलग्न थे। घर वालों को भी ये पता नहीं होता था कि कहाँ हैं और क्या कर रहे हैं। कभी जेल से बाहर तो कभी अंदर। बस यही सब चल रहा था। एक बार बरहन - हाट लूट कांड के आरोप में पूरे गाँव पर सामूहिक जुर्माना भी लगाया गया था। फिर क्या था, महिलाएं एकत्र हो गईं और मेरी दादी के नेतृत्व में उन्होंने उसे पकड़ लिया और जबरन लहँगा- चुनरी, चूड़ियाँ पहनाकर उसके हेट को उतार लिया औऱ दूध औटाने वाली हँड़िया को उसके सिर पर औंधा लटका दिया । फिर तो उस फिरंगी ऑफिसर को उल्टे पैर भागते ही बना । इसके साथ ही दादी के साथ की महिलाओं के समूह ने गांव के ही छोटे - लड़कों के सहयोग से तिरंगा।झंडा उसी नीम के पेड़ पर फहरा दिया।
वंदे मातरम!
जय हिंद !!
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डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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