रविवार, 7 अप्रैल 2019

सत्यवादी नेता (लघुतम कथा)

सृष्टि के एक अरब छियानवे करोड़ आठ लाख तिरेपन हज़ार एक सौ बीसवें वर्ष में प्रभु नाम जपने मात्र से उद्धार पाने वालेभीषण कलिकाल में एशिया महाद्वीप के दक्षिण में तीन ओर से सागर से घिरे हुए एक देश में एक पराकाष्ठा पार सत्यवादी नेता थे ।जो कभी भी विधायक, सांसद या मंत्री तो क्या , कभी सभासद या ग्राम - प्रधान भी नहीं बन सके। बेचारे ! सत्य के मारे! नेताजी हमारे! न किसी के बुरे न किसी के प्यारे! देश ने कहा - ऐसे नेताओं की जरूरत नहीं है इस देश को। ज़रूरत है इसे जो महत्व देता हो वेश को मिथ्या संदेश को, ड्रामा और अभिनय को, जो नेताजी कम जिसमें अभिनय ताजी अधिक हो, जो इंसान कम झपट्टेबाज बधिक हो।

💐 शुभमस्तु
✍लेखक
© 🌱 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...