नेता है नेता
अभिनय करता
नहीं डरता।
रैली थैली है
ललचाऊँ शैली है
मीठी भेली है।
नेताजी आए
जनता को रिझाए
सभी खुश हैं।
पाँच के बाद
फिर आई है याद
भूलना मत।
नेता गरजे
उन्हें कौन बरजे
चर्म-जिह्वा है।
जीभ फिसली
कीचड़ ही निकली
असंसदीय।
सांसद बने
जनता पर तने,
वोट लेकर।
बेशरमाई
लादी और कमाई
ये नेताजी हैं।
सीधी जनता
उस पर तनता
वाह रे! नेता ।
अपात्रों में से
मजबूरी है चुनें
सिर भी धुनें।
इन गधों में
जो होता एक घोड़ा
उसे चुनता।।
💐शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🤓 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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