रविवार, 7 अप्रैल 2019

शेडो [लघुकथा]

 राजनेताओं को छाया की तरह साथ रहने के लिए 'शेडो' पदनाम धारी अंगरक्षक सरकार द्वारा प्रदान किए जाते हैं। माननीय विधायक जी को भी प्रदान किए गए थे। जब माननीय विधायकजी के सामने भोजन की थाली रखी गई ,तो शेडो जी ने उसमें से हर व्यंजन चखना शुरू कर दिया। इस पर मा. विधायक जी ने उसे टोका -'अरे !यह क्या ! तुमने मेरा भोजन जूठा कर दिया? अब मैं इसे कैसे खाऊंगा?' इस पर शेडो कहने लगा -, नेताजी ! यदि इसमें जहर मिला हो और आपका राम नाम सत्य हो गया तो जिम्मेदारी तो मेरे ऊपर ही आएगा न ! इसलिए मैं पहले टेस्ट करके देख रहा हूँ ।' इस पर विधायक जी निरुत्तर हो गए। रात होने पर विधायक पति और उनकी पत्नी के बिस्तरों के बीच एक बिस्तर डाल कर शेडो लेट गया। विधायक जी की आपत्ति पर बोला -'मेरी यह जिम्मेदारी बनती है कि आपकी जान की रात दिन हिफ़ाजत करूँ। यदि रात में मेम साहिबा ने आपको मार दिया तो सरकार और शासन को मैं क्या जवाब दूँगा? इसलिए आप दोनों के बीच बेड डालकर यहीं सोऊंगा। ' अब माननीय विधायक जी से कुछ भी कहते न बना। [यह प्रसंग उत्तर प्रदेश के लगभग 40 वर्ष पूर्व एक विधायक का औऱ सत्य घटना पर आधारित है।]
💐शुभमस्तु !

✍लेखक
© ☂ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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