ये बेतुक बड़बोले नेता,
ये क्या देश बचायेंगे?
जिनकी जुबाँ गाल के बाहर,
जनता को गरियाएँगे।।
निज उल्लू सीधा करने को,
कुछ भी ये बकवास करें!
कीचड़ की पिचकारी मुँह में,
इनसे क्या हम आस करें?
घुला ज़हर जिनकी ज़ुबान में,
ज़हर पिला मरवाएँगे।
ये बेतुक .......
कपटी क्रूर कुचाली काले,
छुरी बग़ल में मुँह में राम।
साँपनाथ और नागनाथ के,
दो -दो जीभें काले काम।।
अभी पालने को लतियाते,
बड़े गज़ब ये ढाएंगे।
ये बेतुक ........
प्यारी इनको कुर्सी सत्ता,
अफ़वाहें फैलाते हैं।
झूठ बोलकर प्रतिपक्षी पर
कीचड़ ही डलवाते हैं।।
देश धर्म से इन्हें न रिश्ता,
क्या कर्तव्य निभाएंगे?
ये बेतुक .....
राष्ट्रधर्म की डींग हाँकते,
मानव -धर्म नहीं आता।
बेशर्मी धो - धो कर पीते,
आम चूसना ही भाता।।
चुना अगर ऐसे नायक को,
बार - बार पछतायेंगे।
ये बेतुक .....
शोषक क्या जानेंगे पोषण,
चोर - लुटेरों के साथी।
कभी हाथ मज़बूत बनाते,
कभी थाम लेते हाथी।।
गठबंधन से जो जन्मे हैं,
बुरा उसे बतलायेंगे।
ये बेतुक .......
थूक -थूक कर चाट रहे हैं,
भूल गए इतिहास सभी।
कल ही जैसे जन्मा भारत,
ये ही माता -पिता सभी।।
बिना सीढ़ियां चढ़े 'शुभम',
क्या मंज़िल पर चढ़ पाएंगे?
ये बेतुक ...................।।
💐शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
☘ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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