आसमान के अनगिन तारे।
टिमटिम करते लगते प्यारे।।
चंदामामा के संग आते।
रात - रात भर वे बतियाते।।
मधुर मौन संगीत सुनाते।
नील गगन की महिमा गाते।।
दिन में अम्बर में गुम सारे।
आसमान के अनगिन तारे।।
मोती भरा थाल है औंधा।
भू पर मंद ज्योति का कौंधा।।
ध्रुवतारा सप्तर्षि महान।
अमर युगों से जिनकी शान।।
चमक-चमक कर कभी न हारे।
आसमान के अनगिन तारे।।
ये तारे ईश्वर की आँखें।
अम्बर से प्रभु नीचे झाँकें।।
बुरा-भला सब देख रहे हैं।
कथनी करनी एक रहे हैं।।
प्रेरक मानवता के सारे।
आसमान के अनगिन तारे।।
उज्ज्वल तन उज्ज्वल मन वाले।
नहीं लगाते घर पर ताले।।
वहाँ न चौकीदार चोर है।
राजनीति का नहीं शोर है।।
पावनता तन - मन में धारे।
आसमान के अनगिन तारे।।
💐शुभमस्तु !
✍रचयिता©
✴ डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'
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