मंगलवार, 23 अप्रैल 2019

चुनाव से पहले :चुनाव के बाद [सवैया]

वोटनु     काज      सिगरे     नेता,
भए  पागल माँगत   वोट   हमारे।
वो  दिन    बीति    गयौ  अब  तौ,
अब सोबहु चैन की नींद पियारे।।
इक  माह  सतावै   वियोग   बड़ौ,
नहिं  राति में नींद न चैन दिना रे।
जीत    कौ    देखि   रहे    सपनों,
कहूँ   वोटरमोय न देहिं दगा रे।।

भाजत -भाजत   छाले   परे  पग,
बोलत -बोलत     थूकहु    सूखौ।
दिन-रेनहु   कौ   नहिं होशु रह्यो,
सब   पीवत खात   रहे मैं भूखौ।।
छूवत -छूवत     कमरि     दुःखी,
बाप    गधाहु   बनाइ न    चूकौ।
फिरि हू फिरि जाइ जौ भाग लिखी,
कैसे दिखराऊँ हों बाहर मूँ  कों।।

वोट   पड़ें हर    साल   ही  ऐसे तौ,
चाँदी है हमारी ख़ूब पी ओ खाओजी।
बोतलवासिनि     अंक     लगीं    नित
मालपुआ खाओ या मस्तमाल पाओजी।।
महीना    भरि    मौज  रही    अपनी,
चमचागिरी    सबको   सिखराओजी।
चेहरा  चमके     बिन    क्रीम   लगे,
माखन उनके  तनकूं लगवाओजी।।

चमचा    कहे      चाहे   कोई हमें,
चमचागिरी    बहुत हमें फलदाई।
खीरि        भगौना   की चाटि रहे,
हम   मालपुआ रबड़ी मनभाई।।
पी    खाइ  के  टुन्न भए हम   तौ,
देह     समेत     सुरग    पहुँचाई।
भगवान     भगौना    बनाए  रखें,
नेतनु की   रहै   ऐसी   प्रभुताई।।

कंचन कामिनि काम की कीचनु,
को   न   सनौ   चमचा   नेताजी।
धर्म      अधर्म    सुकर्म   कुकर्म,
सबकौ   फल  पावते हैं नेताजी।।
पाप      कौ     बोझ   धरे सिर पै,
टसुए       ढरकावते   हैं  नेताजी।
कौन    सौ    कर्म    बचौ    इनसे,
ताहि करि न सकें अपने नेताजी।।

💐शुभमस्तु !💐
✍रचयिता ©
🌴 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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