गुरुवार, 1 अक्तूबर 2020

बापूजी जो हमें दे गए [ गीत ]


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✍️ शब्दकार©

🏕️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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बापूजी    जो   हमें   दे    गए,

उसे    सँभाले       रहना    है।

संघर्षों     ने     दी    आज़ादी,

हर    बाधा    को  सहना  है।।


सत्य, अहिंसा , सदाचार  का,

मंत्र   हमें     सिखलाया    है।

सादा   जीवन  उच्च  विचारों,

ने   सत  पथ  दिखलाया  है।।

संस्कार ,    मर्यादाओं     की,

सुरसरिता  के   सँग बहना है।

बापूजी   जो    हमें    दे   गए,

उसे     सँभाले    रहना    है।।


सबसे   बड़ा   चरित्र  हमारा ,

उसकी    रक्षा     करनी   है।

विपदा  में भी तज कुपंथ को,

वैतरणी   भी    तरनी     है।।

सच्चरित्र  ही   पूँजी  अपनी,

मानव  का   वह   गहना  है।

बापूजी   जो   हमें  दे    गए,

उसे     सँभाले    रहना   है।।


कथनी   करनी  एक  हमारी ,

हर   हालत    में    होनी   है।

आगामी    पीढ़ी  की ख़ातिर,

फ़सल   कर्म  की   बोनी  है।।

जो  हम  करके भी  दिखलायें, 

वही  शब्द   सच   कहना  है।

बापूजी   जो    हमें    दे  गए,

उसे    सँभाले     रहना    है।।


शाकाहार    श्रेष्ठ   मानव को,

सात्त्विक   ही   आहार   करें।

हिंसा   नहीं   करें  जीवों  की,

मिताहार    कर    उदर  भरें।।

जीने  के  हित  भोजन खाएँ,

भोजनभट्ट   न   कहना    है।

बापूजी   जो    हमें    दे  गए,

उसे     सँभाले    रहना    है।।


सत्य  नाम  है  उस ईश्वर का ,

उसने    जगत    बनाया   है।

मानव - धर्म  सदा  से  सुंदर,

कण- कण में   वह छाया है।।

मज़हब वालो लड़ो नहीं सब,

मालिक  एक  हि  कहना है।

बापूजी     जो   हमें   दे  गए,

उसे    सँभाले    रहना    है।।


सोच    हमारी    हमें   बनाती,

ऊँची     सोच     बनानी    है।

लक्ष्य   सदा  ही ऊँचा  रखना,

इसका  भी  कुछ    मानी है।।

जल   प्रवाह   में  बहते   मुर्दे,

धार   चीर  कर   बहना     है।

बापूजी   जो    हमें   दे  गए ,

उसे   सँभाले     रहना    है।


छोटा -  बड़ा  नहीं   है  कोई,

एक    राह    सब   आए  हैं।

एक  राह ही  जाना  सबको,

कब  से     सुनते   आए  हैं।।

खाली हाथ 'शुभम' तू आया,

गमन   रिक्त   कर दहना  है।

बापूजी  जो    हमें   दे   गए,

उसे    सँभाले    रहना    है।।


💐 शुभमस्तु!


01.10.2020◆ 12.30अपराह्न।

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