मंगलवार, 6 अक्तूबर 2020

चलो नदी में नहाएँ [ बालगीत ]


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✍️ शब्दकार ©

🏊‍♂️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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चलो नदी  में  आज  नहाएँ।

कागज़ की कुछ नाव बहाएँ।।


कलकल बहती  नदी  हमारी।

धाराएँ    हैं    कितनी  सारी।।

खेलें - कूदें      हम     हर्षाएँ।

चलो  नदी  में आज नहाएँ।।


रुकती नहीं कभी दो पल को।

नहीं टालती बहना कल को।।

सरिता से  कुछ  सीखें  पाएँ।

चलो नदी  में  आज  नहाएँ।।


गर्मी,    सर्दी,    वर्षा   भारी।

नहीं  दिखाती  वह लाचारी।।

गहरे जल में क्यों  हम जाएँ।

चलो नदी  में आज  नहाएँ।।


लोग  बहाते    कचरा ,मैला।

हो जाता तब जल मटमैला।।

जल में साबुन  नहीं  लगाएँ।

चलो नदी में  आज  नहाएँ।।


आने    वाली     है  दीवाली ।

निर्मल नदिया हो जल वाली।।

'शुभम' शाम को दीप जलाएँ।

चलो  नदी में   आज  नहाएँ।।


💐 शुभमस्तु !


06.10.2020◆2.30अप.

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