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✍️ शब्दकार©
🦚 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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सोए होते उन्हें जगा लेते,
काश अपना उन्हें बना लेते।
उनके दिल में है क्या वही जानें,
लुत्फ़ आता अगर बता लेते।
चाह पूरी अगर नहीं होती,
तुमको दुनियाँ से हम चुरा लेते।
दिल ज़माने में लग गया मेरा,
वर्ना धूनी कहीं लगा लेते।
जिसे छूने में डर रहा है 'शुभम',
काश वो ही कदम बढ़ा लेते।
💐 शुभमस्तु !
03.10.2020◆5.45अपराह्न।
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