गुरुवार, 29 अक्तूबर 2020

महारास - लीला [ अतुकान्तिका ]

 

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✍️ शब्दकार©

🌜 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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महारास के

शुभारम्भ की निशा

शरद -पूर्णिमा,

माया के परदे से रहित

जीव ब्रह्म का महामिलन,

ब्रज-निकुंज में

राधा -श्याम रचाते 

महारास की लीला

समा सजीला।


जन्मे 

देव -सेनापति

पार्वती -शिव के सुत

मयूर-वाहन षडानन,

शरद -पूर्णिमा की

शुभ निशा समुज्ज्वल,

छाया आनन्द अपार

कैलाश -धाम में।


विष्णु-प्रिया 

देवी धन की

लक्ष्मी मैया का

अवतरण दिवस

पावन है

शरद -पूर्णिमा।


प्राची के 

अम्बर से उगता

स्वर्ण-थाल -सा 

गोल चमकता 

सुखद सुधाकर,

सँग में आती

चतुर चंद्रिका।


बरस रहा है

सोम इंदु से

क्षीर -थाल में,

करता जो नीरोग

अमृतमय 

मानव तन मन।


छिटक रहे

अनगिनत बड़े -छोटे

तारागण,

झिलमिल करते

ज्यों अम्बर में,

पुष्प दुग्ध के

आँख मिचोंनी सी

करते,

झरते - से।


आओ बाहर

खुले गगन तल

चाँदनी भर लें,

अपने आँचल में,

उर के कोने -कोने में,

फैलाकर

युगल करों की

अंजुली के 

शुभ दौने में।


💐 शुभमस्तु !


29.10.2020 ◆5.00अपराह्न।

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